Wednesday, September 7, 2016

वेदों में प्राचीन व नवीन ऋषियों के मंत्र संकलित हैं

ये च ऋड्ढयो य च नूत्ना इन्द्र ब्रह्माणि जनयन्त विप्राः।

अस्मे ते सन्तु सख्या शिवानि यूयं पात स्वस्तिभिः सदा नः।।9।।
    हे इन्द्रदेव! प्राचीन एवं नवीन ऋषियों द्वारा रचे गए स्तोत्रों से स्तुत्य होकर आपने जिस प्रकार उनका कल्याण किया, वैसे ही हम स्तोताओं का भी मित्रवत् कल्याण करें। आप कृपा करके कल्याणकारी साधनों से हम सबकी सुरक्षा करें।
(ऋग्वेद 7/22/9; अनुवादःपं. श्रीराम शर्मा आचार्य, मथुरा से प्रकाशित, सन् 2005 ई.)
    ‘प्राचीन एवं नवीन ऋषियों द्वारा रचे गए स्तोत्रों’ कहकर वेदों ने स्वयं ही स्पष्ट कर दिया है कि वेदमंत्रों की रचना ऋषियों ने की और यह काम कई पीढ़ियों तक चलता रहा।
    स्वामी दयानन्द जी ने वेदों को स्वतःप्रमाण माना है और वेद स्वयं को ऋषियों की रचना बता रहे हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि वेद का यह अनुवाद एक ऐसे महापंडित ने किया है, जो बहुत वर्षों तक आर्यसमाज का प्रतिनिधित्व करते रहे लेकिन जब उन्होंने स्वयं वेद का अनुवाद किया तो उन्होंने स्वामी जी की ग़लत मान्यताओं का अनुकरण न किया। 

-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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