हमें जानना चाहिए कि आज वेदपाठ करना पिछले जन्म के कर्मों का फल नहीं है। स्वयं स्वामी जी ने वेद का प्रचार करने के लिए जगह जगह पाठशालाएं खोलीं और आर्य समाज मन्दिर बनवाए। इससे वेदपाठ करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई। अगर वेदपाठी होना पिछले जन्म के कर्मों का फल होता तो स्वामी जी के प्रयास से वेदपाठियों की संख्या न बढ़ती।
यही बात बिजली और हवाई जहाज़ बनाने वालों की है। सत्वगुण के कर्म करने से यह योग्यता पैदा हुआ करती तो आज दुनिया में आर्य समाजी सबसे ज़्यादा बिजली और हवाई जहाज़ बना रहे होते। हक़ीक़त इसके खि़लाफ़ है। बिजली और हवाई जहाज़ का सबसे ज़्यादा प्रोडक्शन वे कर रहे हैं जो स्वामी जी के अनुसार तमोगुणी हैं।
सवारी और युद्ध के विमान आज भी भारत में नहीं बनते। भारतीय इन्हें उन विदेशियों से ख़रीदते हैं जो आवागमन में विश्वास नहीं रखते। योग्यता और कला कौशल का गुण इसी जन्म के अभ्यास से विकसित होता है। इसे पिछले जन्म के कर्म का फल मानना लोगों को ग़लत जानकारी परोसना है। जिसके कारण समाज के लोग आवश्यक पुरूषार्थ नहीं करते और वे दूसरों से पिछड़ कर उनके अधीन हो जाते हैं। ग़लत विचारों को त्यागे बिना राजनैतिक प्रभुत्व पाना और वैज्ञानिक उन्नति करना संभव नहीं है।
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html
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