‘... क्योंकि आकाश के जिस देश में सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी की छाया रोकती है, उस देश में शीत भी अधिक होती है। ... फिर गर्मी के कम होने और शीतलता के अधिक होने से सब मूर्तिमान पदार्थो के परमाणु जम जाते हैं। उनको जमने से पुष्टि होती है और जब उनके बीच में सूर्य की तेजोरूप किरणें पड़ती हैं तो उनमें से भाप उठती है। उनके योग से किरण भी बलवाली होती है।’ (ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका पृष्ठ 145 व 146)
(27) सर्दी-गर्मी धरती पर होती है आकाश में नहीं और वह भी पृथ्वी द्वारा सूर्य के प्रकाश को रोकने की वजह से नहीं होती। पृथ्वी की छाया भी किसी अन्य ग्रह पर नहीं पड़ती।
(28) और न ही सर्दी बढ़ने से सब चीज़ों के परमाणु जमते हैं। टुण्ड्रा प्रदेश की तेज़ सर्दी में भी सब चीज़ों के परमाणु नहीं जमते। पता नहीं परमाणु के सम्बन्ध में स्वामी जी की कल्पना क्या है?
(29) भाप से मिलकर प्रकाश को भला क्या बल मिलेगा?
(30) यह वेदों का कथन है या स्वयं स्वामी जी की कल्पना?
-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
--
पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html
(27) सर्दी-गर्मी धरती पर होती है आकाश में नहीं और वह भी पृथ्वी द्वारा सूर्य के प्रकाश को रोकने की वजह से नहीं होती। पृथ्वी की छाया भी किसी अन्य ग्रह पर नहीं पड़ती।
(28) और न ही सर्दी बढ़ने से सब चीज़ों के परमाणु जमते हैं। टुण्ड्रा प्रदेश की तेज़ सर्दी में भी सब चीज़ों के परमाणु नहीं जमते। पता नहीं परमाणु के सम्बन्ध में स्वामी जी की कल्पना क्या है?
(29) भाप से मिलकर प्रकाश को भला क्या बल मिलेगा?
(30) यह वेदों का कथन है या स्वयं स्वामी जी की कल्पना?
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