Wednesday, September 7, 2016

वेद का सच्चा अर्थ जानने का फल

    स्वयं स्वामी जी ने भी वेद का अर्थ जानने वाले का यह लक्षण बताया है कि वह सब दुःखों से रहित हो कर मोक्ष सुख को प्राप्त होता है। देखिए-
    ‘(स्थाणु0) जो मनुष्य वेदों को पढ़ के उन के अर्थ नहीं जानता, वह उनके सुख को न पाकर भार उठाने वाले वृक्ष के समान है, जो कि अपने फल फूल डाली आदि को बिना गुणबोध के उठा रहे हैं। किन्तु जैसे उनके सुख को भोगने वाला कोई दूसरा भाग्यवान् मनुष्य होता है, वैसे ही पाठ के पढ़ने वाले भी परिश्रमरूप भार को तो उठाते हैं, परन्तु उनके अर्थज्ञान से आनन्दरूप फल को नहीं भोग सकते। (योऽर्थज्ञः0) और जो अर्थ का जानने वाला है, वह अधर्म से बचकर, धर्मात्मा होके, जन्म मरणरूप दुःख का त्याग करके, संपूर्ण सुख को प्राप्त होता है। क्योंकि जो ज्ञान से पवित्रात्मा होता है, वह (नाकमेति) सर्वदुःख रहित होके मोक्षसुख को प्राप्त होता है। इसी कारण वेदादि शास्त्रों को अर्थज्ञानसहित पढ़ना चाहिए।’ (ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका, पठन पाठन विषयः, पृष्ठ 247)

    जब एक पाठक स्वामी जी को उन्हीं की बताई कसौटी पर परखकर देखता है तो वह पाता है कि
स्वामी जी को न तो संपूर्ण सुख प्राप्त हुआ,
न ही उनके सब दुख दूर हुए और
न ही उन्हें मोक्षसुख प्राप्त हुआ।
इस तरह एक सच्चे वेदज्ञानी के ये लक्षण स्वामी दयानन्द जी में नहीं मिलते। अपने ही वेदार्थ की कसौटी पर भी वह खरे नहीं उतरते।


-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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