सच्चा वेदार्थ जानने के लिए वेदमंत्रों की रचना करने वाले ‘कवि’ ऋषियों के इतिहास की जानकारी आवश्यक है। आज भी किसी कविता का सही अर्थ जानने के लिए उसके रचने वाले कवि के जीवन की घटनाओं के बारे में जानना ज़रूरी माना जाता है। कवि जिन घटनाओं को देखता है या जो अनुभूत करता है, अपने काव्य में उन्हीं का वर्णन करता है। अमीर ख़ुसरो, अल्लामा इक़बाल और रविन्द्र नाथ टैगोर के जीवन की घटनाओं को जाने बिना उनके काव्य का अर्थ किया जाएगा तो बहुत से स्थानों पर अर्थ का अनर्थ होना निश्चित है। वेदमंत्रों में विश्वामित्र, वसिष्ठ, घोड्ढा काक्षीवती, वभ्र, दुवस्यु और यम-यमी आदि जिन कवियों के नाम आए हैं। उनके जीवन का इतिहास जाने बिना उनके काव्य का सही अर्थ जानना संभव नहीं है।
वेद की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?, इस रहस्य को सुलझाने के लिए भी ऋषियों का इतिहास ही काम आता है। नाभिकमल पर वास करने वाले ब्रह्मा जी और विश्वामित्र के पुरातन इतिहास को जाने बिना इसे हल करना संभव नहीं है। स्वामी जी ने वेदों में इतिहास न मानकर उनकी उत्पत्ति तक पहुंचने का एक मार्ग बंद ही कर दिया है।
स्वामी दयानन्द जी को इन ऋषियों के प्राचीन इतिहास के विषय में कोई प्रामाणिक जानकारी न थी। उनके द्वारा वेदार्थ में ग़लती करने का यह एक बड़ा कारण है।
-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html
वेद की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?, इस रहस्य को सुलझाने के लिए भी ऋषियों का इतिहास ही काम आता है। नाभिकमल पर वास करने वाले ब्रह्मा जी और विश्वामित्र के पुरातन इतिहास को जाने बिना इसे हल करना संभव नहीं है। स्वामी जी ने वेदों में इतिहास न मानकर उनकी उत्पत्ति तक पहुंचने का एक मार्ग बंद ही कर दिया है।
स्वामी दयानन्द जी को इन ऋषियों के प्राचीन इतिहास के विषय में कोई प्रामाणिक जानकारी न थी। उनके द्वारा वेदार्थ में ग़लती करने का यह एक बड़ा कारण है।
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