Monday, September 5, 2016

स्वामी जी के समय में हिन्दू समाज की दशा

स्वामी जी के समय में हिन्दू समाज की दशा . इस दौरान स्वामी जी ने मथुरा, काशी और वृन्दावन आदि तीर्थों की यात्रा की। जहां
उन्होंने खुद प्रत्येक स्तर पर जो पाखण्ड और भ्रष्टाचार अपनी आंखों से देखा, उसे उन्होंने सत्यार्थप्रकाश में बयान किया है। वह हरिद्वार के कुम्भ मेले में भी गए। वहां उन्होंने देखा-
‘संन्यासी जिनका काम जगत का सुधार करना था वह गिरी, पुरी, भारती, अरण्य, पर्वत, आश्रम, सरस्वती, सागर, तीर्थ, गुसांई-इन दस भागों में विभक्त होकर परस्पर गृहयुद्ध में फंसे हुए थे। ...राजा महाराजा आंख के अंधे गांठ के पूरे, इसी प्रकार के संड-मुसंडों के चेले और अनुयायी, तन, मन, धन, गुसांई और गुरू जी को अर्पण करने वाले, चाटुकार और भीरू दरबारियों के संसर्ग में दिन रात रहकर धर्म और संसार से बेसुध, अफ़ीम के गोले चढ़ाने में निपुण साधुओं का अविद्यान्धकार में फंसना और गृहस्थियों का विनाश, राजाओं को मूर्खों से संगति और विद्वानों के प्रति उपेक्षा; विद्वानों का मौनधारण और सत्य का प्रकाश न करना और इस पर एक सत्यप्रिय तथा सत्यवादी की निन्दा, यह सब देखकर स्वामी जी का चित्त अत्यन्त उत्तेजित हुआ, हृदय भर आया।’ (महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन चरित्र, पृष्ठ 83)
    स्वामी दयानन्द जी वास्तव में अपने निश्चय के पक्के और बड़े जीवट के स्वामी थे। उनके प्रयास से भारतीय समाज में वेद सामने आए और मूर्तिपूजा को एक बुराई के रूप में देखा जाने लगा। उन्होंने हिन्दू राजाओं को वेश्यागमन से रोका। उन्होंने सामान्य हिन्दुओं को भी नशा, व्यभिचार, समलैंगिकता व दूसरी बुराईयाँ छोड़ने का उपदेश दिया। इन सब उपदेशों के माध्यम से उन्होंने वर्णाश्रम धर्म को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया।

-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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