Tuesday, September 6, 2016

वेद में क्यों नहीं मिलता स्वामी जी का बताया वेदमंत्र?

स्वामी जी की यह कल्पना भी ग़लत निकली कि
‘आदि में अनेक अर्थात् सैकड़ों सहस्त्रों मनुष्य उत्पन्न हुए। और सृष्टि में देखने से भी निश्चित होता है कि मनुष्य अनेक माँ-बाप की सन्तान हैं।’ (सत्यार्थप्रकाश, अष्टम., पृ.150)
...और वह प्रमाण भी झूठा निकला, जो इस मान्यता की पुष्टि में उन्होंने इससे पहले लिखा है कि
‘‘क्योंकि ‘मनुष्या ऋड्ढयश्च ये। ततो मनुष्या अजायन्त’ यह यजुर्वेद में लिखा है।’’ (सत्यार्थप्रकाश, अष्टम., पृ.150)

आश्चर्यजनक किन्तु सत्य यह है कि उपरोक्त मंत्र यजुर्वेद में है ही नहीं। स्वामी जी ने एक ऐसी मान्यता का और एक ऐसे मंत्र का प्रचार कर दिया जो कि वेद में नहीं है। आर्य समाजी विद्वान भी ढूंढ ढूंढ कर थक गए। उन्हें भी वेद में यह प्रमाण नहीं मिला। उन्हें स्वामी जी की रचनाओं को युद्ध करते हुए 140 वर्ष  से ज़्यादा हो गए लेकिन उनकी रचनाएं फिर भी युद्ध नहीं हो पाईं। उपरोक्त अशुद्धि आज भी सत्यार्थप्रकाश में विद्यमान है। जो कि वेद विषय में स्वामी जी की विश्वसनीयता समाप्त करने के लिए काफ़ी है।
(34) या तो स्वामी जी को यही पता न था कि यह मंत्र वेद का नहीं है या वह जान बूझ कर वेद के नाम पर झूठे प्रमाण दे दिया करते थे जैसा कि बहुत से गुरुओं की आदत है?


-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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