Tuesday, September 6, 2016

स्वामी जी की मौत के विषय में, झूठे प्रचार का उद्देश्य? false propaganda

स्वामी जी की जीवनी लिखने वाले आर्य समाजी लेखक इस घटना को सत्य मानते हैं। उनके लेखन पर विश्वास करके हम भी स्वामी जी की मृत्यु का कारण उन्हें विष देना ही मानते थे लेकिन इंटरनेट पर हमारी इस पुस्तक का प्रथम संस्करण पढ़कर एक आर्य भाई ने कहा कि उन्हें विष देने की घटना झूठी है। आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट ने ‘महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन चरित्र’ नामक ग्रन्थ प्रकाशित किया है। उनके जीवन की घटनाओं के विषय में वही ग्रन्थ प्रामाणिक है। उसमें यह घटना नहीं है।
दिल्ली में विश्व पुस्तक मेला 2012 लगा तो हमने एक सहयोगी मित्र से आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित ‘महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन चरित्र’ मंगवाकर पढ़ी तो वाक़ई उसमें रसोईये से विष देने के सम्बंध में स्वामी जी का कोई कथन नहीं मिला।
स्वामी जी ने अपने रसोईये से तो क्या किसी से भी नहीं कहा कि उन्हें किसी ने ज़हर दिया है। स्वामी जी के नाम पर आर्य समाजी प्रचारक बरसों से इतना बड़ा झूठ बोलकर आम लोगों को धोखा क्यों देते आ रहे हैं?
शायद स्वामी जी को लोगों की नज़रों में ‘शहीद’ का सम्मानित दर्जा दिलाने के लिए ही यह झूठ आम किया गया है। झूठी बात फैलाते समय उन्होंने यह क्यों नहीं सोचा कि जब कभी यह झूठ पकड़ा जाएगा तो लोगों में ‘आर्य समाज’ की विश्वसनीयता ही ख़त्म हो जाएगी? 

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जहर से मरना महान आत्माओं को शोभा नहीं देता
तहकीकी Urdu Article पढने से पता चलता है दयानंद की मौत भस्म खाने से हुई महान बनाने के लिए जहर की कहानी चलायी गयी,  बार बार कहानी को बदला गया दयानंद जी की मौत नन्ही जान, कालू रसोइए और कहार  में घूमती रही अब उपरोक्त पोस्ट से पता चलता है कि इस मौत को ही हटाया जा रहा है

सौ साल से अधिक पुराना तहकीकी आर्टिकल उर्दू में इस लिंक पर पढें 

नेट में अभी जहर की कहानी घूम रही है यह देखो


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-- --Anwer Jamal Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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