Monday, September 5, 2016

स्वामी जी बच न पाए मृत्यु समय के दुःखों से

सारे जप-तप, यम-नियम और योगाभ्यास के बावजूद वह न तो अमर हो सके और न ही मुक्ति पा सके और न ही मृत्यु समय के भयानक दुःखों से बच सके, जिसके लिए वह घर से निकले थे। स्वामी जी को मरते समय अपनी बहन और अपने चाचा की अपेक्षा कई गुना अधिक दुःख भोगना पड़ा। 
महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन चरित्र, पृष्ठ 821 पर लिखा है-
‘फिर उनको तीस-तीस चालीस-चालीस दस्त नित्य आया करते थे। जिससे वह दिन प्रतिदिन निर्बल होते गए।’ 
उन्हें पेट-दर्द भी होता था। उनका मूत्र कोयले के समान निकलता था। उनकी मुंह और जीभ पक गए थे। गले में कफ़ भी बहुत हो गया था। उनका बोलना भी बंद हो गया था। डाक्टर की बात का जवाब भी संकेत से देते थे। उनकी यह हालत 1 महीने से ज़्यादा रही।
‘एक दिन मृत्यु के समीप एक आर्य ने पूछा कि महाराज। आपका गला बैठ जाने का क्या कारण है तो मुख खोलकर बतलाया कि यहां से नाभि तक सब पक गया है और धीमे स्वर से कहा कि नाभि तक छाले पड़ गए हैं।’
(महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन चरित्र, पृष्ठ 835)
स्वामी जी का दोनों समय हवन भी छूट गया था। स्वामी जी को शौच के लिए बैठाने में भी चार आदमियों को लगना पड़ता था। वह स्वयं करवट तक भी न बदल पाते थे। उन्हें करवट भी दो-चार आदमी दिलाया करते थे। ये सेवक स्वामी जी का कहना कभी मान लेते थे और कभी टाल देते थे। मृत्यु से एक दिन पहले स्वामी जी ने उनसे नाई को 5 रुपये देने के लिए कहा लेकिन उन्होंने उसे 1 रुपया दिया। जिसकी शिकायत नाई ने स्वामी जी से की। स्वामी जी ने मृत्यु के दिन जब क्षौरकर्म करवाया तो स्नान करने की इच्छा की लेकिन उनके सेवकों ने स्वामी जी को नहीं नहलाया। इस तरह उनकी अंतिम इच्छा भी पूरी न हो पाई। उन्हें गीले कपड़े से सिर पोंछकर रह जाना पड़ा। इसी हाल में वह चल बसे।

-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html


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