Monday, September 5, 2016

विश्वस्त सेवक भी सब निकम्मे निकले

आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट ने भी उनके विश्वस्त सेवकों के विषय में यही बताया है-
‘विश्वस्त सेवक भी सब निकम्मे निकले-स्वामी जी के पास जितने मनुष्य भरोसे के थे, सब निकम्मे निकले।’ (महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन चरित्र, पृष्ठ 820)
‘स्वामी जी का उन सब पर से विश्वास उठ गया।’ (हवाला उपरोक्त)
स्वामी जी को विश्वस्त और कर्मठ सेवक न मिल पाने का कारण भी माता-पिता के विश्वास को भंग करना है। 


 -- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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