Wednesday, September 7, 2016

आवागमन का त्याग ज़रूरी है देश की सीमाओं की रक्षा के लिए


स्वामी जी ने सत्यार्थप्रकाश, नवमसमुल्लास, पृ.174 पर बताया है कि जो अत्यन्त रजोगुणी कर्म करते हैं वे मरने के बाद शस्त्रधारी भृत्य अर्थात सैनिक बनकर पैदा होते हैं। यह एक ग़लत बात है। इस तरह की बातें करना देश की सीमाओं को ख़तरे में डालना है। विदेशी हमलावरों से हारने का एक कारण ऐसी मान्यताएं भी थीं।

किसी का सैनिक बनना उसके  पूर्वजन्म के कर्म का फल नहीं होता। हरेक राज्य अपनी अपनी सीमा के क्षेत्रफल और सेना पर ख़र्च करने की क्षमता के अनुसार ही सैनिक तैयार करता है। जिस राज्य को जितने सैनिक चाहिए होते हैं। वह उनकी भर्ती करके उन्हें प्रशिक्षण देता है और वे सैनिक बन जाते हैं। युद्धकाल में ज़्यादा सैनिकों की ज़रूरत पड़ती है तो राज्य ज़्यादा लोगों को भर्ती कर लेता है। जिन दांभिक पुरूषों को स्वामी जी ने तमोगुणी (सत्यार्थ.,पृ.174) माना है, वे भी सेना में भर्ती होकर लड़ते हैं। पायलट और बिजली के जानकार भी मैदान में लड़ते हैं। जिन्हें स्वामी जी ने सत्वगुणी माना है। सत, रज, तम तीनों गुणों के मालिक सेना में इकठ्ठे मिलेंगे और सेना से रिटायर होकर वे सब फिर अलग अलग काम करते हैं। कोई खेती करता है, कोई व्यापार करता है, कोई अध्यापक बन जाता है और कोई डाकू-लुटेरा भी बन जाता है।

-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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