Wednesday, September 7, 2016

अनुक्रमणी और मंत्र में मंत्रकर्ता ऋषियों के नाम

सूक्त के आरम्भ में एक अनुक्रमणी भी होती है। जिसे शायद वेद व्यास ने ही बनाया है। इस अनुक्रमणी में यह लिखा रहता है कि इस सूक्त का ऋषि कौन है?, देवता कौन है ? और यह किस छंद में है?
    कुछ मंत्रों के अंदर भी सूक्त रचने वाले ऋषि ने अपने नाम का वर्णन किया है। जैसे कि ऋग्वेद के 10वें मण्डल के 40वें सूक्त के आरम्भ में लिखा है-
ऋषि-घोड्ढा काक्षीवती, देवता-अश्विनी, छंद-जगती
इस सूक्त के 5वें मंत्र में ऋषि घोड्ढा ने अपने नाम का उच्चारण करते हुए कहा है-
    ‘युवां ह घोड्ढा पर्यश्विना यती राज्ञ ऊचे दुहिता पृच्छे वों नरा
    भूतं में अह उत भूतमक्तवेऽवेश्वावते रथिनेशक्तमर्वते।5।
    हे अश्विनी कुमारो! मैं राजकुमारी घोड्ढा सब ओर घूमती हुई तुम्हारा गुणानुवाच करती हूँ और तुम्हारा ही चिन्तन करती रहती हूँ। तुम दिन रात मेरे यहाँ निवास करते हुए रथ और अश्वों से सम्पन्न मेरे भ्राता के पुत्र को वश में रखते हो।’ (अनुवादः पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, प्रकाशकः संस्कृति संस्थान, ख्वाजा क़ुतुब नगर, बरेली, उ.प्र.)
    ऋग्वेद के 10वें मण्डल के 99वें सूक्त का ऋषि वभ्रो वैखानसः, देवता इन्द्र और छन्द त्रिष्टुप् है। इसके 12वें मंत्र में सूक्त बनाने वाला वभ्र भी अपने नाम का उल्लेख करते हुए कहता है-
    ‘हे इन्द्र! अनेक हवियाँ देने की कामना करता हुआ मैं वभ्र तुम्हारी सेवा में पैदल चलकर आया हूँ, तुम मेरा कल्याण करो तथा श्रेष्ठ अन्न, सुन्दर गृह, सब पदार्थ और बल आदि मुझे दो।’ (अनुवादः पं. श्रीराम शर्मा आचार्य)
    इसी मण्डल का 100वाँ सूक्त दुवस्युर्वान्दन ने बनाकर उसके अंतिम मंत्र संख्या 12 में कहा है-‘दुवस्यु ऋषियों की रस्सी का अगला भाग आपकी कृपा से ही खींचते हैं।’ (अनुवादः  पं. श्रीराम शर्मा आचार्य)
    ऋग्वेद का यम-यमी संवाद भी यही सिद्ध करता है कि वेदमंत्रों की रचना मनुष्यों ने की है। ऋग्वेद के 10वें मण्डल के 10वें सूक्त के ऋषि यमी वैवस्ती और यमो वैवस्वतः हैं और इस सूक्त के देवता अर्थात प्रतिपाद्य विषय भी यही दोनों हैं। ये आपस में भाई बहन हैं। इन दोनों ने आपस में जो बातचीत की है, वही इस सूक्त में वर्णित है। सूक्त के अंदर भी यम-यमी ने एक दूसरे को नाम लेकर संबोधित किया है।

-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
--
पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...