Tuesday, September 6, 2016

सब एक माता पिता की सन्तान हैं

सत्य की प्राप्ति के लिए शठवृत्ति, भेदभाव और अहंकार का त्याग ज़रूरी है। वैसे भी सब मनु की सन्तान हैं- ‘जनं मनुजातं’ (ऋग्वेद 1,45,1)
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् धरती के सब मनुष्‍य एक परिवार हैं । विभिन्न नस्लों के डीएनए पर रिसर्च करने के बाद आधुनिक वैज्ञानिकों ने धरती के सभी मनुष्यों में एक ही जोड़े का डीएनए पाया है अर्थात सब मनुष्य एक ही स्त्री-पुरूड्ढ की सन्तान हैं, जैसा कि इसलाम कहता है।
    मा भ्राता भ्रातारं द्विक्षन्मा स्वसारमुत स्वसा ।
     सम्यग्चः सव्रता भूत्वा वाचं वदत भद्रया ।।
‘भाई, भाई से और बहन, बहन से द्वेष न करे। एक मन और गति वाले होकर मंगलमय बात करें।’ (अथर्ववेद 3,30,3)
वैमनस्य और नफ़रत फैलाना छोड़कर सद्भावना प्रेम, शांति, एकता, ज्ञान और उन्नति का माहौल बनाना चाहिए। अन्य देशवासी भाई बहनों के पास भी ईश्वरीय ज्ञान है। उनसे ज्ञान प्राप्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए। यही सर्वहितकारी और मंगलमय बात है।

-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --पुस्तक में108 प्रश्न नंबर ब्रेकिट में दिये गए हैं
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
 http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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