
‘जब पृथिवी के समान सूर्य, चन्द्र और नक्षत्र वसु हैं पश्चात उनमें इसी प्रकार प्रजा के होने में क्या सन्देह? और जैसे परमेश्वर का यह छोटा सा लोक मनुष्यादि सृष्टि से भरा हुआ है तो क्या ये सब लोक शून्य होंगे?’ (सत्यार्थ., अष्टम. पृ. 156)
(22) क्या यह मानना सही है कि ईश्वरोक्त वेद व सब विद्याओं को यथावत जानने वाले ऋषि द्वारा रचित साहित्य के अनुसार सूर्य, चन्द्रमा और अन्य ग्रहों पर मनुष्य आबाद हैं और वे वहां वेदपाठ और हवन कर रहे हैं?
(23) चन्द्रमा पर कई वैज्ञानिक जाकर लौट आए हैं। सेटेलाइट के ज़रिये चन्द्रमा
के हर हिस्से के फ़ोटो ले लिए गए हैं। वहां अभी तक तोप और बन्दूक़ बनाने वाली कोई फ़ैक्ट्री क्यों नहीं मिल पाई?
(24) क्या सूर्य पर वेदपाठी आर्यों के रहने और तोप और बन्दूक़ें रखने की बात कहना पौराणिकों से बड़ी गप्प मारना नहीं कहलाएगा?
अतः सत्यार्थप्रकाश और ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका आर्य समाजियों के पुराण सिद्ध होते हैं।
-- --Book Download Link--
http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html
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