वास्तव में उनका मक़सद (उद्देश्य) और तरीक़ा दोनों ही ग़लत थे। दुनिया में अमर होने की इच्छा करना भी ग़लत है और इस मक़सद के लिए घर छोड़ना भी ग़लत है। दुनिया में अमर होना या दुःख से बच पाना प्राकृतिक नियम और सृष्टि विज्ञान के विरूद्ध है।
ज़िंदगी का सच्चा मक़सद और उसे पाने का सही तरीक़ा केवल सच्चा गुरू ही बता सकता है। इसीलिए ज्ञान देने वाला एक गुरू वास्तव में ज़मीन और आसमान के सारे ख़जानों से भी बढ़कर है। उसका अनुसरण करके ही मनुष्य अपने लक्ष्य को पाकर सफल हो सकता है। इस तरह एक सच्चे और ज्ञानी गुरू की तलाश हरेक मनुष्य की बुनियादी और सबसे बड़ी ज़रूरत है। लेकिन जैसा कि इस दुनिया का क़ायदा है कि हर असली चीज़ की नक़ल भी यहाँ मौजूद है। इसलिए जब कोई मनुष्य गुरू की खोज में निकलता है तो उसे ऐसे बहुत से नक़ली गुरु मिलते हैं जिन्हें खुली आँखों से नज़र आने वाली चीजों तक की सही जानकारी नहीं होती लेकिन वे ईश्वर और आत्मा जैसी हक़ीक़तों के बारे में अपने अनुमान को ज्ञान बताकर लोगों को भटका देते हैं।
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http://www.mediafire.com/download/ydp77xzqb10chyd/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition.pdf --
डा. अनवर जमाल की पुस्तक "'स्वामी दयानंद जी ने क्या खोजा? क्या पाया?" परिवर्धित संस्करण इधर से डाउनलोड की जा सकती है --
https://archive.org/stream/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-published-book/swami-dayanand-ji-ne-kiya-khoja-kiya-paya-second-edition#page/n0/mode/2up
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पुस्तक युनिकोड में चार पार्ट में इधर भी है
http://108sawal.blogspot.in/2015/04/swami-dayanand-ne-kiya-khoja-kiya-paya.html

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